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एक खाट की कहानी


बारहवीं क्लास में अचानक एक सूट बूट पहना आदमी आ धमका , जिसके साथ दो बंदूक धारी भी थे,ये देखकर सारे बच्चे घबरा गए उस सूट बूट पहने आदमी ने बच्चो से कहा " बच्चो क्या तुम एक कहानी सुनोगे ?" सभी बच्चो ने घबराते हुए हां कहा,

 क्योंकि उनके सामने दो बंदूक धारी खड़े हुए थे जो उन बच्चो को ही देख रहे थे,फिर उस सूट बूट वाले आदमी ने कहानी सुनाना शुरू किया।

एक शहर के बाहर एक ढाबा था,जहां ट्रक वाले,बस वाले और भी कई तरह के वाहन चलाने वाले और राहगीर रुक कर खाना खाया करते थे, उस ढाबे में बैठने के लिए टेबल की जगह पर खाट का इस्तेमाल किया जाता था...

 इसलिए वहां के कुछ खाट पुराने हो चुके थे कुछ तो टूट भी गए थे इसलिए ढाबे के मालिक ने एक बढ़ाई को बुलाया उन खाट को रिपेयर करने के लिए

अगले दिन अपने सारे औजारों को लेकर अपने बेटे के साथ बढ़ाई ,ढाबा पहुंचा, और खाट को रिपेयर करने का काम शुरू , कर दिया, 

खाट को रिपेयर करने में बढ़ाई का बेटा, बढ़ाई का सहयोग कर रहा था खाट को बनाते बनाते बढ़ाई ने अपने बेटे से सवाल पूछा" बेटा ये बताओ ये खाट कैसे टूटा होगा?" 

बढ़ाई के बेटे ने कहा " ये तो जाहिर सी बात है पिताजी, यह एक ढाबा है और यहां कई तरह के लोग आते जाते है कोई मोटा तो कोई पतला, सब लोग इसमें बैठते हैं कोई सही तरीका से बैठता है तो कोई गलत तरीका से बैठता है इसलिए ये खाट टूट गया।" 

बढ़ाई ने कहा "बेटा ! यही हमारे साथ होता है हम जब सफल होना चाहते हैं या कोई काम हाथ में लेते हैं उस समय हमारे सामने कई तरह के लोग आते हैं जो हमे कई तरह की बाते सुनाते और सिखाते हैं

कोई कहता है अरे ये तुझसे नही हो पाएगा,कोई कहता है अरे ये काम मैं कर चुका हूं इसमें बहुत तकलीफ है इसमें घाटा है इसमें ये है वो है और ये सारी बाते बोलकर वो हमारे दिमाग में बैठने की कोशिश करते हैं।

 हमारे दिमाग में घर करने को कोशिश करते हैं और फिर हम उसी बातों को सोचते रहते हैं जो लोगो ने हमे कहा है । 

आखिर में हम हार मान कर इस खाट की तरह टूट जाते हैं और उस काम को छोड़ देते हैं जिसे हमने अपने हाथ में लिया था। इस खाट ने भी ऐसे कई लोगो को झेला होगा और ये बेचारा खाट आखिर में टूट गया।

बढ़ाई के बेटे ने कहा " पिताजी मैं आपकी ये बातें गांठ बांध कर रखूंगा,मैं लोगो की तरह- तरह की बातों से नही टूटूंगा, न उनकी बातों पर ध्यान दूंगा ।

और बच्चों मैं ही वो बढ़ाई का लड़का हूं जो आज तुम्हारे सामने एक आईएएस ऑफिसर बनकर खड़ा हूं,।

तो बच्चो जिंदगी में ऐसे कई मुसीबत आते जाते रहते हैं इसलिए लोगो की फालतू की बातों को इग्नोर करके अपने गोल पर ही फोकस करना और आगे बढ़ना। इतना कहकर आई ए एस ऑफिसर वहां से चले गए।

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यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है किसी भी प्रकार की वास्तविकता से सम्बंधित नही है ! आज साइंस के अध्यापक टेस्ट लेने वाले थे सभी बच्चे घबराये हुए थे साइंस के अध्यापक ने क्लास में घुसते ही बच्चो को तपाक से पूछा की, क्या आप में से कोई भी माँसाहारी है मतलब कोई मछली-मुर्गा कुछ भी खाता है ? क्लास में उपस्थित 43 बच्चो में से 6 ने हाथ ऊपर किया ! तब अध्यापक ने कहा क्या आप मछली के कांटो को भी खाते समय चबा जाते हैं ? एक बच्चे ने कहा जी सर बिलकुल ! अध्यापक:- क्या आपको जरा भी डर नही लगता के कांटे मसूड़ो में चुभ सकते हैं ! बच्चा :- बिलकुल भी डर नही लगता सर क्योंकि मैं बहुत ध्यान से चबाता हूँ ! अध्यापक :- शाबाश ! बच्चो इसी तरह अपने अन्दर समाये बुराइयों को भी चबा जाओ अगर चबाना नही आता तो सीख जाओ क्योंकि नही चबाये तो वह आगे चलकर पुरे चरित्र में घाव पैदा कर देगा ! मैंने जो कहा वो सिर्फ मांसाहारियों के लिए ही नही है बच्चो आप सब के लिए है क्योंकि बुराई माँसाहारी है या शाकाहारी है किसी को नही देखता !

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