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CG LOVE SHAYARI (1)


( 1 ) 
 टुरी ह कारी हे अटल कुंवारी हे
 मन ल कइसे तरसावय जी   
मया वाले रस चुहाके  
काबर एती ओती लुकावय जी ! 

( 2 )
नसा चढ़े हे मोला मया के तोर   
कतको उतारे नइ उतरय ओ  
  तोला मिले से पहिली नीमगा रेहेंव   
खुद ल अब कतको सुधारेंव नइ सुधरय ओ ! 

 ( 3 ) 
कईसे मया होगे तोर संग मयारू 
  जइसे  बंजर भुइंया हरियागे न  
 सोना कस मोर गोरा बदन ह 
  करिया लोहा कस करियागे  न ! 

( 4 )  
सपना आथे आधा रात के
  मुसड़िया  ल मैं हँ  पोटारत रहिथँव  
गाना गाके ये मोर मयारू    
सपना म तोला सुनावत रहिथँव ! 

( 5 ) 
 कइसे मारे नजरिया  के बान  
 पथरा कस दिल ल घोर डारे ओ 
  मोर बम्हाचारी जीवन के डोर ल  
 ऐके घरी म टोर डारे ओ ! 

( 6 )
  सात सौ के नथनी 
  अउ  मुंदरी हजार के 
  तभो ले तोर मन नइ माढ़े  
 अउ लेबो कइथस  अवईया बजार के ! 

( 7 ) 
सुर मोहिनी  टुरी तोर मन मोहिनी  रूप ओ  
 देखे म मन माढ़े नही ,तोला पाये बर  मन होथे, 
 जइसे तैं  छाये हस मोर जिनगी म  
 वइसे  तोर जिनगी म छाये बर मन होथे ! 

( 8 )  
बटकी धोवतहे  टुरी  
 भुइंया म पटक-पटक के 
  चुंदी बगरे हे चारो मुड़ा  
 सकलत हे सब ल झटक-झटक के ! 

( 9 )  
अंगरखा कइसे पहिरे हे टुरी   
बदन म जींस टॉप के बौछार हे  
रंग रंगीली टुरी मटमटही हे
  ओखर म फेसन के भुत सवार हे ! 

( 10 )  
गोबर बिने आबे टुरी हमर कोठार म  
 गाड़ा के चक्का हे तिहां बैठे  हंव इंतजार म  
पहिली मजा करबो जी भर के  
 तहां बिहाव हमर होही कुंआर म ! 

( 11 ) 
मोर चक्कर म पड़े हस टुरी 
  कभू छोड़ँव नही तैं जानले  
 सच्चा आशिक पाये हस गोरी   
श्यादर ल अपन मानले ! 

( 12 ) 
रंगरंगीली सलवार तोर  
करतहे कइसे धमाल ओ 
  रंग दे मोला तोर मया के रंग म 
करदे थोकिन कमाल ओ ! 

( 13)  
शक्कर के पानी पिया के टुरी 
  मया के गुर खवाये न   
नैन मटक्का मारे टुरी  
 श्यादर के प्यास बुझाये न ! 

( 14 )    
ये वो चंदा रानी तोर चेहरा  
 मोर मन भीतर म छाये हे  
 गजब के हावय तोर रूप गोरी  
मोला बईहा -पगला बनाये हे  ! 

( 15 )  
छम्मक छल्लो तोर जवानी  
 अडबड अलकरहा लागे ओ 
  देख के तोरे धाकड़ बदन ल  
 मन बईहा हो जाथे ओ  

(16)  
सुक्खा डबरी म पानी डारे  
 कईसन मया के बान चलाये ओ  
एजी, ओजी कहिके गोरी 
  काबर मोला बलाये ओ   

( 17)  
सुरुज के आगि म तन जरय नही
  मया बर व्याकुल होथे ओ 
  घेरी बेरी रद्दा देखतहंव तोर  
 मन कुलबुल-कुलबुल होथे ओ  

( 18 ) 
 सिरतोन कहे संगी  
 मोला ओखर संग जीना हे   
आज ले दारु मंद-मउहा  
 तोर बिना नइ पीना हे ! 

( 19) 
मजा के चक्कर म सिदागे पईसा  
 घर के गौटिन मोला गारी दिही 
  नइ लेहूँ कछु चिन्हा ओखर बर 
त   ठेंगा म मोला मारी दिही ! 

( 20 )
  ऐती ओती झन देख न ओ   
खड़े हवंव तोर आघू म  
 तोर घर के आघू म मोर घर हवय  
 अउ देखे बर खिड़की हवय बाजू म  

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