(21)
तोर बिना मोर जिनगी अधूरा
नइ जानव कइसे होही पूरा ,
तोर बिना मोर घरौंदा खाली
जइसे बिन चिरई के घूरा !
(22)
मोर बिना तोर रूप का काम के
जइसे जनमत लइका बिन नाम के,
मया बिना अंधियारी तोर जिनगी
जइसे प्लास्टिक के हीरा बिन दाम के !
(23)
कचर्रा बना के रख दिये
हमेशा बतियाथंव तोर बारे मा,
तोर नाम बार-बार लिखत रहिथंव
महानदी के किनारे मा !
(24)
तोर बिना मोर गोंदा
सुन्ना हे फुलवारी रे,
तन मुरझाये-मन मुरझाये
तोर बिना टुरी कारी रे !
(25)
सुक्खा हे जिनगी के डबरा
बन के मेघा पानी गीरा दे,
देहे नइ सकस सुख मया के
त जल्दी मया के पीरा दे !
मोला बहुत सुंदर लागिस है
ReplyDelete