एक लड़का था जो धन से बेहद गरीब था ,उसके परिवार में बस दो सदस्य ही थे वो लड़का और उसकी माँ ,लड़का दस साल का था मगर दिमाग से बड़ा खुरापाती था बिजनेस के क्षेत्र में उसका दिमाग घोड़े की तरह दौड़ता था इस लिए वह अपने परिवार को पालने की हिम्मत रखता था
एक गजब की बात यह है कि वह मात्र पांचवी क्लास में पढता था ,
वह सबेरे तीन बजे से उठ जाया करता था और उठकर खाना बनाने में माँ की मदद करता था साथ ही अपने स्कुल के लिए तैयार होता था ,,,
वह स्कुल जाने के लिए निकलता माँ अपने टी स्टॉल को जाती मगर लड़का सीधे न्यूज़ एजेंसी की और भागता है ,,,वहां से वह न्यूज़ पेपर उठाता और स्कुल वाले रास्ते में पड़ने वाले सभी घरों में अख़बार पहुंचाता और रोज अपने लिए भी एक अख़बार रख लिया करता था इस तरह अख़बार बांटते-बांटते वह स्कुल भी सही समय पर पहुँच जाता था ,
स्कुल में अपना हर सब्जेक्ट का क्लास पूरा करता और लंच टाइम में लंच करके अपने बैग में रखे अख़बार को निकालकर पढ़ने लगता अखबार में दिए गए मैन हेडिंग को और सामान्य ज्ञान को अपने डेली डायरी वाले नोट बुक में नोट करता था
सुबह के 7:30 को स्कुल लगता और 1:30 बजे को छुट्टी हो जाया करता था..
वह घर पहुँच कर अपना यूनिफार्म चेंज करता और अपने स्कुल बैग को साथ लेकर अपने टी-स्टॉल पे जाता जहाँ उसकी माँ सुबह से मौजूद होती थी
लड़का वहीं टी स्टाल पर अपना बुक निकालकर पढ़ने लगता साथ ही चाय पीने वाले आते तो चाय बनाकर देने लगता उधर उसकी माँ नास्ता बनाती थी उनका टी स्टाल पब्लिक प्लेस पर था इसलिए ग्राहकों की भीड़ देखते ही बनती थी!
अपना टी स्टाल को रात के आठ बजे बंद करते और दोनों अपने घर को जाते और खाना पीना करके लड़का 10 बजे तक फिर पढ़ता था तभी चैन की नींद सोता था सबसे बड़ी बात यह है कि टी स्टाल और नास्ता सेंटर का आइडिया उस लड़के का ही था
तो दोस्तों इस कहानी को पढ़कर आपको पता चल गया होगा की लड़का कितना मेहनती था और पढ़ाकू भी, तो दोस्तों इस तरह के अच्छे कामो में दिमाग का खुरापाती भी होना जरुरी है !
इस कहानी मर कुछ पॉइंट हैं जिसे आपने नोट तो किया ही होगा ...
1-लड़का रात को 10 बजे सोता था और तीन बजे उठ जाया करता था मतलब 4 से 5 घंटे का ही नींद लेता था !
2-वह स्कुल के लंच टाइम में अख़बार पढता था और जरुरी पॉइंट को अपने कॉपी में नोट करता था !
3-स्कुल से आने के बाद वह अपने टी स्टाल पर बैठकर पढाई के साथ-साथ ग्राहक भी संभालता था !
दोस्तों इस कहानी में जो लड़का है वो तो बड़ा ही मेहनती है और दिमाग से पॉवरफुल और जरा सोचिए वह 10 साल का लड़का अपने टाइम को कैसे मैनेज कर लेता था साथ ही इनकम भी और पढाई भी ...
इस कहानी को पेश करने का मेरा मैन पॉइंट आपको मोटीवेट करना है याने कहने का मतलब ये है कि ईश्वर ने हम सबको बराबर-बराबर समय दिया है मगर इसका इस्तेमाल करना हमारे हाथ में है साथ ही इस कहानी से यह पता चलता है कि मेहनत करो और "व्यस्त रहो-मस्त रहो"
दोस्तों इसी के साथ हम आपकी उज्जवल भविष्य की मनोकामना करते हैं और ये दुआ करते हैं कि आप तरक़्क़ी ही तरक्की करें ....
तो इसी के साथ मुझे दीजिये विदा और जाते-जाते बताते जाइये की आपको हमारा पोस्ट कैसा लगा...
इसके लिए आपको नीचे कमेंट करना होगा ताकि हमें आपकी राय मिल सके...
so bye and tc freinds !
एक गजब की बात यह है कि वह मात्र पांचवी क्लास में पढता था ,
वह सबेरे तीन बजे से उठ जाया करता था और उठकर खाना बनाने में माँ की मदद करता था साथ ही अपने स्कुल के लिए तैयार होता था ,,,
वह स्कुल जाने के लिए निकलता माँ अपने टी स्टॉल को जाती मगर लड़का सीधे न्यूज़ एजेंसी की और भागता है ,,,वहां से वह न्यूज़ पेपर उठाता और स्कुल वाले रास्ते में पड़ने वाले सभी घरों में अख़बार पहुंचाता और रोज अपने लिए भी एक अख़बार रख लिया करता था इस तरह अख़बार बांटते-बांटते वह स्कुल भी सही समय पर पहुँच जाता था ,
स्कुल में अपना हर सब्जेक्ट का क्लास पूरा करता और लंच टाइम में लंच करके अपने बैग में रखे अख़बार को निकालकर पढ़ने लगता अखबार में दिए गए मैन हेडिंग को और सामान्य ज्ञान को अपने डेली डायरी वाले नोट बुक में नोट करता था
सुबह के 7:30 को स्कुल लगता और 1:30 बजे को छुट्टी हो जाया करता था..
वह घर पहुँच कर अपना यूनिफार्म चेंज करता और अपने स्कुल बैग को साथ लेकर अपने टी-स्टॉल पे जाता जहाँ उसकी माँ सुबह से मौजूद होती थी
लड़का वहीं टी स्टाल पर अपना बुक निकालकर पढ़ने लगता साथ ही चाय पीने वाले आते तो चाय बनाकर देने लगता उधर उसकी माँ नास्ता बनाती थी उनका टी स्टाल पब्लिक प्लेस पर था इसलिए ग्राहकों की भीड़ देखते ही बनती थी!
अपना टी स्टाल को रात के आठ बजे बंद करते और दोनों अपने घर को जाते और खाना पीना करके लड़का 10 बजे तक फिर पढ़ता था तभी चैन की नींद सोता था सबसे बड़ी बात यह है कि टी स्टाल और नास्ता सेंटर का आइडिया उस लड़के का ही था
तो दोस्तों इस कहानी को पढ़कर आपको पता चल गया होगा की लड़का कितना मेहनती था और पढ़ाकू भी, तो दोस्तों इस तरह के अच्छे कामो में दिमाग का खुरापाती भी होना जरुरी है !
इस कहानी मर कुछ पॉइंट हैं जिसे आपने नोट तो किया ही होगा ...
1-लड़का रात को 10 बजे सोता था और तीन बजे उठ जाया करता था मतलब 4 से 5 घंटे का ही नींद लेता था !
2-वह स्कुल के लंच टाइम में अख़बार पढता था और जरुरी पॉइंट को अपने कॉपी में नोट करता था !
3-स्कुल से आने के बाद वह अपने टी स्टाल पर बैठकर पढाई के साथ-साथ ग्राहक भी संभालता था !
दोस्तों इस कहानी में जो लड़का है वो तो बड़ा ही मेहनती है और दिमाग से पॉवरफुल और जरा सोचिए वह 10 साल का लड़का अपने टाइम को कैसे मैनेज कर लेता था साथ ही इनकम भी और पढाई भी ...
इस कहानी को पेश करने का मेरा मैन पॉइंट आपको मोटीवेट करना है याने कहने का मतलब ये है कि ईश्वर ने हम सबको बराबर-बराबर समय दिया है मगर इसका इस्तेमाल करना हमारे हाथ में है साथ ही इस कहानी से यह पता चलता है कि मेहनत करो और "व्यस्त रहो-मस्त रहो"
दोस्तों इसी के साथ हम आपकी उज्जवल भविष्य की मनोकामना करते हैं और ये दुआ करते हैं कि आप तरक़्क़ी ही तरक्की करें ....
तो इसी के साथ मुझे दीजिये विदा और जाते-जाते बताते जाइये की आपको हमारा पोस्ट कैसा लगा...
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