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वो बचपन के खेल

बचपन के खेल कुछ निराले ही होते हैं
अगर बच्चो को खेलते हुए देख लिया जाये
तो बचपन की याद आ जाती है...

आज का यह खेल छत्तीसगढ़ का है जिसे
"डग्गल" कहा जाता है यह क्षेत्र के अनुसार अलग अलग नामो से भी जाना जाता है कहीं पर इसे "मारतुल" भी कहा जाता है ऐसे कई अन्य नाम हैं

इस खेल का नियम बड़ा गजब का है तो आइये देखते हैं
एक गोला बनाया जाता है गोले से दो कदम पीछे सीधा लकीर होता है जहाँ सभी बच्चे खड़े होकर गोले में पत्थर फेकते हैं गोले में पत्थर फेकते हुए किसी एक के पत्थर को मारा जाता है जिसके पत्थर से टक्कर होती है वह हार जाता है और वह दाम देने लगता है यहाँ पर एक शब्द आ रहा है दाम का, तो "दाम" का मतलब होता है "सजा भुगतना "

फिर गोले से 7 कदम दूर एक सीधा लकीर खीचा जाता है जहाँ हारने वाले को अपना पत्थर खड़ा करके रखना होता है और जो जीते हुए बच्चे रहते हैं उनके द्वारा उस खड़े पत्थर को टक्कर मारकर गिराना होता है जब-जब पत्थर गिरता जाएगा
तब - तब हारने वाला आगे बढ़ता जायेगा
आखिर में किसी के भी द्वारा पत्थर न लगने पर वह हारने वाले बच्चा एक पैर से लंगड़ाते हुए गोले के पास आएगा !

यह था खेल का नियम तो चलिए खेलते हैं
अरे भई आपका बचपन तो चला गया...
आप खेल नही सकते तो क्या हुआ थोड़ा अपने बचपन को याद तो कर सकते हो...

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