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महिला ने मजदूरों को वापस लाया

ध्यान देवें:- यह कोई काल्पनिक कहानी नही है बल्कि वास्तविक घटना है जो सन 1986 की है!

1986 में छत्तीसगढ़ के 16 जोड़े इन जोडों में सभी सदस्यों को मिलाकर करीब 60 सदस्य जिनमे शिशु से लेकर बुजुर्ग भी थे, सभी बेरोजगारी के चलते रायबरेली ईंट भट्ठा में काम करने गए थे !
                    जहाँ उनके मेहनत का पैसा सही समय पर नही दिया जाता था ना ही खाना बनाने के लिए जलाऊ लकड़ी तक नही दिया जाता था जलाऊ लकड़ी न दे पाने के कारण मजदूरों को पेड़ काटकर खाना बनाने हेतु इस्तेमाल करने को कहा गया मजदूरों ने वही किया और फिर रेंजर ऑफिसर को किसी अन्य व्यक्ति ने शिकायत कर दिया जिसके बाद मजदूरों को थाना ले जाया गया और उन्हें दण्डित कर 3 दिन बाद छोड़ा गया
                   इस तरह दण्डित होने व तकलीफों से गुजरने के कारण सभी ने ईंट भट्ठा मालिक से छुटकारा पाने की ठानी और सभी मजदूरों ने भट्ठा मालिक से शिकायतें की मगर भट्ठा मालिक ने उनकी शिकायतों को अनसुना कर दिया जिसके कारण सभी
मजदुर पलायन करने की सोचने लगे और भट्ठा मालिक को बताकर दूसरे दिन अपना छत्तीसगढ़ वापस आने लगे....

रायबरेली रेलवे स्टेसन में मालिक द्वारा उनको रोका गया और वही पर मालिक और मजदुरों के मुखिया श्यामबाई से झगड़ा होने लगा जिसमे मालिक के साथ 12 पुलिस कर्मी भी थे मालिक द्वारा श्यामबाई को घुस के रूप में पैसा दिया जाने लगा लेकिन उन्होंने उसे हाथ तक नही लगाया और मजदूरों को वापस छत्तीसगढ़ लाने की जिद करने लगी आखिर में शोर शराबा होने के कारण भट्ठा मालिक पीछे हटने लगा

फिर कुछ किलोमीटर आगे बढ़ने के बाद रायबरेली के पास ऊंचाहार नामक स्टेसन पर उन्हें फिर रोका गया मगर किसी ने भी रेलगाड़ी से नीचे नही उतरा इस  तरह श्यामबाई सहित सभी मजदूरों की जीत हुई और बहुत मुश्किल से उन्होंने तीर्थ यात्रा करने के बहाने से टिकट कलेक्टर से तथा अन्य व्यक्तियों से बचते बचाते श्यामबाई सहित 15 जोड़ो सहित सभी परिवार अपने गांव अपने छत्तीसगढ़ वापस आ गए !

( उपरोक्त घटना संक्षिप्त में है और विस्तार से जानकारी प्राप्त करने हेतु कृपया उसी व्यक्ति से संपर्क करें नीचे उनका वर्तमान पता लिखा जा रहा है)

नाम- श्यामबाई रात्रे
पति - स्व. दरशराम रात्रे
उम्र - 53 वर्ष
ग्राम - बालसी
पोस्ट ऑफिस - केंदूढार
तहसील -सराईपाली
जिला-महासमुंद (छ. ग.)

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